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जिहाद भी मजहब का हिस्सा है तो क्या जिहाद को
जिहाद भी मजहब का हिस्सा है तो क्या जिहाद को संविधानिक मंजूरी दी जाएगी ?: रोहित सरदान
पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने कहा की अगर तीन तलाक मजहब (इस्लाम) का हिस्सा होगा तो हम उसमे दखल नहीं देंगे
और अब तीन तलाक की पैरवी कर रहे वकील और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा की
तीन तलाक इस्लाम का अंग है, 1400 साल से चल रही परंपरा है, इसे ख़त्म नहीं किया जा सकता, ये मुसलमानो की आस्था का विषय है, और संविधान उनको अपनी आस्था के पालन का हक़ देता है
ये उनका संविधानिक अधिकार है
इसी पर पत्रकार रोहित सरदाना ने पोस्ट लिखा है, कपिल सिब्बल के नाम ये रोहित सरदाना का खुला पत्र है
रोहित सरदाना ने कपिल सिब्बल के कुतर्को की आलोचना की है
रोहित सरदाना ने कहा की,कल को जाकर बरकाती टाइप का कोई कट्टरपंथी कहेगा की जिहाद उसके मजहब का हिस्सा है, और शरिया के अनुसार उसे जिहाद करने की छूट मिली चाहिए
तो क्या ऐसी सूरत में जिहाद करने के लिए संविधानिक छूट दे दी जाएगी
रोहित सरदाना की बातों में तर्क है, चूँकि कपिल सिब्बल का कहना है की तीन तलाक 1400 साल से चल रहा है, उसी तरह कल को कोई कट्टरपंथी कह सकता है की जिहाद भी 1400 साल से चल रही है
रोहित सरदाना ने ये भी कहा की अदालत में भी कपिल सिब्बल कांग्रेस की राजनीती कर रहे है
और ये देश के लिए बड़े दुर्भाग्य का विषय है की तुष्टिकरण के लिए कोई इतना नीचे गिर सकता है
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